Rája-níti: a collection of Hindu apologues in the Braj Bháshá language

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Printed at the Presbyterian mission Press, 1854 - Tales - 191 pages
 

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अति अब अरु आपने इतनी इन उन उनि उपाय ऐसें और कछु कर करतु करि करे करो कहतु है कहनि कहा कहि कही का है काग काज काम काह किया की के कैसी कथा है को को है कोऊ कौ कौं क्योंकि खामी गया घर जब जा जाय जिन जैसें जो तद तब तहां ता तातें ताहि तुम तू तें तैसें तो तौ दमनक दुख देखि धन धर्म न होय नाम नाहिं नाहीं निज ने नें पंडित पर पाय पुनि पै बन बरु बहुरि बिचारि बिन बोल्यो ब्राह्मन भला भांति भाई मंत्री मन में महाराज मांहिं मित्र मूसा में मेरे मैं मोहि यह यह कैसी कथा यह बात यह सुनि या यातें ये रहे राज लाग्यो ले वह वा वाकी वाके वाहि श्री सब साथ सिंह सुख से सेवक सो सों स्त्री स्यार हंस हम हाथ ही हीं है कि है जो हैं हो होय ह्यां

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